तेजस्वी यादव ने कहा कि यूएन ने भी माना है कि जाति जनगणना जरूरी है. यूएन के मापदंड में आता है कि ये होनी चाहिए, तो समझ सकते हैं कितना ज़रूरी है. ये देश भर में होनी चाहिए, अगर होती है तो क्या तकलीफ है?
बिहार में मंत्रिपरिषद ने जातिगत जनगणना (Caste Census) को मंजूरी दे दी है. साथ ही इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एनडीटीवी से बात करते हुए इसे बेहद जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि जब तक साइंटिफिक डेटा नहीं होगा, तब तक आप जिस सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि जन-जन तक विकास का लाभ पहुंचाना है, जो अभी तक नहीं पहुंच पाया है, उसमें कामयाब नहीं हो पाएंगे.
तेजस्वी ने कहा कि जैसे किसी के पेट में दर्द है तो वो सिर दर्द की गोली खा रहा है, क्योंकि हमारे पास आंकड़े सही नहीं हैं. आखिरी बार ये गिनती 1931 में हुई थी, इसीलिए अंतिम पायदान पर खड़े समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए यह करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आपके पास साइंटिफिक डेटा नहीं है, तो आप सरकार की नीतियों को सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुंचा सकते. गिनती धर्मों की भी होती है, उससे क्या लाभ होता है. पेड़, जानवर सभी की गिनती होती है. हमें पता होना चाहिए की असली तस्वीर क्या है. कौन लेबर है, भिखारी कौन है पता होना चाहिए.
आरजेडी नेता ने 'जिसकी जितनी भागेदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' के सवाल पर कहा कि आरक्षण की बात अलग है. इससे पढ़ाई और दवाई से वंचित लोग जो गरीबी रेखा के नीचे हैं, सबका ध्यान रखा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि यूएन ने भी माना है कि जाति जनगणना जरूरी है. यूएन के मापदंड में आता है कि ये होनी चाहिए, तो समझ सकते हैं कितना ज़रूरी है. ये देश भर में होनी चाहिए, अगर होती है तो क्या तकलीफ है?
जब तेजस्वी से सवाल किया गया कि 'बीजेपी इस मुद्दे पर पूरी तरह आपके साथ नहीं है?' तो उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्ताव पारित होने के समय बीजेपी भी समर्थन में थी. अब बीजेपी के लोग ही बता पाएंगे कि अब ऐसा क्यों है. कुछ दिन पहले तक तो बैठक को लेकर टालमटोल हो रही थी, कि न हो, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि झुकना पड़ा.
बीजेपी नेताओं के बयान पर कि, '15 साल आरजेडी की सरकार रही, उस वक्त आपने क्यों नहीं किया?' पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों को जानकारी नहीं होती है. मंडल कमीशन में लालूजी की बड़ी भूमिका रही है. 1996-97 में जनता दल की सरकार थी, लालू जी जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उस समय तय हुआ कि 2001 के कास्ट सेनसस में इसे रखेंगे. लेकिन 1999 के बाद अटल जी की सरकार आई, फिर उन्होंने इसे नहीं कराया.
उन्होंने कहा कि फिर 2011 में जब हुआ तो सेनसस हुए थे, सोशियो इकोनॉमिक और कास्ट सेनसस हुआ था, उस समय भी आर्थिक, शैक्षणिक जनगणना हुई थी. फिर बीजेपी की सरकार ने पब्लिक डोमेन में लाने से मना कर दिया, कहा डेटा करप्ट हो गया है. इन लोगों का सच से तलब नहीं है, ये लोग झूठे लोग हैं.
जातिगत जनगणना पर नीतीश और तेजस्वी के बीच मौन गठबंधन और एक नई राजनीति का संकेत के सवाल पर तेजस्वी ने कहा कि हम शुरू से ही सकारात्मक पॉलिटिक्स करते आए हैं. जिसकी जैसी सोच है, वो रहे. 5 तारीख को महागठबंधन का कार्यक्रम है. विपक्षी दल सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे. संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर ये काम कर रहे हैं. लेकिन जहां तक सर्वे की बात है, ये एजेंडा हमारा शुरू से रहा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच गठबंधन का सवाल काल्पनिक है, अगर ऐसी बात होती तो क्या हम सरकार की कमियां गिनाते. हमने ऐसा मुद्दा उठाया, जो सभी की सहमति से पास हो गया.
तेजस्वी से सवाल पूछा गया कि आप लंदन में थे, राहुल गांधी से मुलाकात हुई, क्या रिश्तों में खटास खत्म हो गई है, खासकर राहुल के उस बयान के बाद कि रीजनल पार्टी केवल जाति की राजनीति करती है. उन्होंने कहा कि हमारा वहां ब्रिज इंडिया फाउंडेशन का कार्यक्रम था, कैंब्रिज में था. उसमें राहुल जी भी थे और भी सदस्य थे. हमारा पर्सनल रिलेशन हमेशा अच्छा रहा है. लेकिन मेरा मानना है रीजनल पार्टी को जब तक ड्राइंविंग सीट पर नहीं बिठाएंगे, तब तक सफल नहीं हो पाएंगे. उन्होंने कहा कि बिना कांग्रेस के हम पूरे विपक्ष की कल्पना नहीं कर सकते हैं, मेरी सोच आज भी यही है.
आरजेडी में सभी नीतिगत फैसले लेने का अधिकार मिलने पर जब उनसे पूछा गया कि, 'क्या कह सकते हैं कि लालू यादव के जूते में अब तेजस्वी फिट हैं?' जवाब में तेजस्वी ने कहा कि लालू जी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनका निर्णय सर्वेपरी होगा. लेकिन अभी के हालात में कि विधानसभा में क्या-क्या करना है, तो इसमें सब लोगों ने समर्थन किया है कि आप तय करें. लेकिन लालू जी का निर्णय अंतिम निर्णय होगा. लालू जी के स्वास्थ्य को देखते हुए लोगों ने ये पैसला किया है.
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