कांग्रेस का मास्टर स्टोक : UP की सियासत में अनूठा प्रयोग कर जातीय समीकरण साधने की कोशिश


उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब पार्टी ने संस्थाक कई बड़े बदलाव किए हैं. कांग्रेस हाईकमान ने यूपी में जहां नया अध्यक्ष बनाया है, वहीं पहली बार प्रांतीय स्तर पर भी 6 अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है. यूपी में कांग्रेस का यह अनूठा प्रयोग बताया जा रहा है. पार्टी ने हाईकमान ने पूरे राज्य को 6 क्षेत्रों में बांटने के बाद हर क्षेत्र के लिए एक प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया है. पूरे यूपी को इन 6 प्रांतों के आधार पर बांटा गया है - पूर्वांचल, अवध, प्रयाग, बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम ज़ोन. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी कार्यकारी अध्यक्षों के जरिए ना सिर्फ संगठन को मजबूत करेगी बल्कि जातीय समीकरण को भी साधेगी. सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान जातीय और सांगठनिक अनुभव के आधार पर ही कार्य क्षेत्र का बंटवारा करने पर विचार कर रहा है.

पार्टी ने दलित समाज से आने वाले बृजलाल खाबरी को राज्य कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी खाबरी की नियुक्ति से दलित समाज को पार्टी से जोड़ने की कवायत में लगी है. बृजलाल खाबरी प्रदेश में आक्रामक दलित नेता के बतौर जाने जाते हैं. बतौर अध्यक्ष उनके कंधों पर प्रदेश भर में दलित समाज को जोड़ने की बड़ी ज़िम्मेदारी होगी.

बात अगर प्रांतीय अध्यक्षों की करें तो ज़िला महराजगंज के फरेंदा विधायक विरेंद्र चौधरी को पूर्वांचल में पार्टी का काम देखना होगा. इनके ऊपर ख़ासतौर पर फ़ैज़ाबाद, अम्बेडकरनगर, बस्ती,महराजगंज, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर में कुर्मी जाति को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी होगी. वहीं, प्रयाग ज़ोन में पूर्व मंत्री अजय राय को ज़िम्मेदारी मिलेगी. भूमिहार जाति से आने वाले अजय राय मज़बूत छवि के नेता रहे हैं. भूमिहार बिरादरी में अजय राय पूरब से पश्चिम तक सर्वमान्य नेता हैं. अवध और बुंदेलखंड ज़ोनों में  प्रांतीय अध्यक्षों की ज़िम्मेदारी पूर्व मंत्री नकुल दुबे और योगेश दीक्षित की होगी. 2007 में मंत्री रहे नकुल दुबे का ब्राह्मण जाति में अच्छा ख़ासा प्रभाव रहा है.

पश्चिम में प्रांतीय अध्यक्ष के बतौर नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को नियुक्त किया जाएगा. वहीं ब्रज में यादव लैंड से आने वाले अनिल यादव(इटावा) को ज़िम्मेदारी दी जाएगी. उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार मानते हैं कि जातीय समीकरण के लिहाज़ से देखें तो यूपी में इस फ़ार्मूले के ज़रिए कांग्रेस ने एक मज़बूत चक्रव्यूह की रचना जरूर की है. 

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