आमतौर पर दीवाली के पंच-दिवसीय पर्व के दौरान धनतेरस के मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है, और इसी वजह से त्योहार के इस सीज़न में हमेशा सोने की मांग काफी बढ़ जाती है. इस मौके पर अधिकतर महिलाएं नए ज़ेवरात खरीदना पसंद करती हैं, जबकि बहुत-सी कंपनियां अपने कर्मचारियों को सोने के सिक्के आदि जैसे तोहफे दिया करती हैं.
वैसे, आपकी जानकारी के लिए भारत में सोना खरीदते वक्त आप सोने की कीमत के साथ-साथ सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स भी अदा करते हैं, जिसकी वजह से इस कीमती धातु की कीमत और भी बढ़ जाती है.
इस टैक्स के चलते बहुत-से हिन्दुस्तानी सोना या सोने के ज़ेवरात दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) से खरीदकर लाते हैं, जहां सोने की खरीद पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाता है, लेकिन अब अगर आप भी दुबई से सोना लेकर हिन्दुस्तान आने की योजना बनाने लगे हैं, तो आपको कुछ दिशानिर्देश और नियमों को अवश्य जान लेना चाहिए.
ध्यान रखने लायक सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप कितना भी सोना दुबई से लाकर भारत में मुनाफा लेकर नहीं बेच सकते, क्योंकि सरकार उस पर ड्यूटी वसूल करती है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर तथा सीमाशुल्क बोर्ड (CBIC) के मुताबिक, "भारतीय पासपोर्ट धारकों तथा भारतीय मूल के लोगों के लिए सोने पर शुल्क की रियायती दर 12.5 प्रतिशत तथा समाज कल्याण सरचार्ज 1.25 प्रतिशत लागू होता है, यदि उनका दौरा छह माह से अधिक अवधि के लिए हो..." अन्य सभी मामलों में किसी भी शख्स को भारत में सोना लाने पर 38.5 प्रतिशत की दर से सीमाशुल्क चुकाना पड़ता है.
नियमों में यह भी तय किया गया है कि किसी भी शख्स के लिए लाए जाने वाले सोने का वज़न (आभूषणों सहित) एक किलोग्राम प्रति व्यक्ति से अधिक नहीं हो सकता है.
सो, यदि आप शुल्क में बचत करना चाहते हैं, तो लाए जाने वाले सोने की कीमत और वज़न को सीमा के भीतर ही रखें. CBIC के अनुसार, जो पुरुष यात्री एक वर्ष से अधिक अवधि तक विदेश में रहा हो, 20 ग्राम तक सोने के आभूषण ला सकता है, और उनकी कीमत 50,000 रुपये से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. इसी तरह, महिला यात्रियों के ड्यूटी-फ्री सीमा 40 ग्राम सोने के ज़ेवरात हैं, जिनका मूल्य अधिकतम 1,00,000 रुपये हो सकता है.
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